दिन १८: उसके सहकर्मी

कौनसा कार्य है, जो परमेश्वर मुझसे कराना चाहते है?

दिन १९: एक साथ एकत्रित होना

परमेश्वर ने मुझे किसके साथ जोड़ा है?

दिन २०: आराधना

मेरे लिये प्रभु की स्तुति आराधना करना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

दिन २१: प्रार्थना

मैं परमेश्वर से जो स्वर्ग में है कैसे बातचीत कर सकता हूँ?

दिन २२: मोहजाल

मुझे यह विचार बार-बार क्यों आते है?

दिन २३: भविष्य के लिये परमेश्वर पर भरोसा रखे

क्या मेरा भविष्य उसके हाथ में सुरक्षित है?

दिन २४: एक अनंत परिप्रेक्ष्य

जो अनंत है और महत्वपूर्ण है उस पर मैं अपना ध्यान कैसे रखूँ?

दिन २५: बुलाहट

मैं अपने काम में परमेश्वर की सेवा कैसे करूँ?

दिन २६: उसमें, लेकिन उसके नहीं

मैं अपने जीवन में संतुलन कैसे बनाकऱ चलूँ?