दिन १६: प्रभु में आनंदित रहना

क्या जीवन में एक केन्द्रित लक्ष्य है?


आप मुझे जीवन का मार्ग दिखलायेंगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है तेरे दहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।

भजन 16:11

कईं लोग प्रभु परमेश्वर के साथ एक आनंद भरा संबंध नहीं बना पाते क्योंकि वह इस रिश्ते को एक कर्तव्य के रूप में देखते हैं, आनन्द के रूप में नहीं। लेकिन परमेश्वर हमारे बीच के रिश्ते को कैसे देखते है।

तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनंद से मग्न होगा, वह अपने प्रेम के भोर चुपका रहेगा और ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मग्न होगा,” (सपन्याह 3:17)। क्या आप अपने स्वर्गीय पिता को भाते और आनंदित होकर आपके ऊपर देखते हुए कल्पना कर सकते हैं? एक आध्यात्मिक कृति कहती है “मनुष्य का अंत क्या है? प्रेरित उत्तर यह हैः मनुष्य का प्रधान कार्य परमेश्वर की महिमा करना और उसमें अनंतकाल के लिए आनंदित होना है।"

ए. डब्ल्यू. टोजर अपनी किताब “परस्यूट आँफ गोड़ में कहते हैं, “परमेश्वर ने हमें अपने आनंद बनाया कि हम और साथ में वह भी एक अलौकिक संयोजन में सदृश्य व्यक्तियों के मिलन की मिठास और रहस्य का आनंद उठायें."

परमेश्वर में आनंदित रहने के कुछ तरीके यहाँ दिये गये है:

  • उसे रोजमर्रा की चीजों में देखना, उसकी सृष्टि की सुदरता के साथ और हरेक व्यक्ति के महत्व के साथ देखना।
  • उसके द्वारा दी गई सीमाओं का ध्यान रखे, जैसे उसकी आज्ञायें जो हमारी अच्छाई के लिये है हमारे हानि के लिये नहीं।
  • अपने पूरे ह्रदय से अपनी आराधना, धन्यवाद और स्तुति अभिव्यक्त करें।

इस दृष्टकोण से इसे दुबारा मूल्यांकन करें। आप प्रभु में ऐसे आनंदित होंगें जैसे पहले कभी भी नहीं हुए।

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